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कार्तिकेय

  • gokahaani
  • 2 days ago
  • 1 min read
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भगवान कार्तिकेय का जीवन साहस, वीरता, और धर्म की महानता का प्रतीक है। उनका जन्म, युद्ध कौशल, और राक्षसों से लड़ाई उनके अद्वितीय और शक्तिशाली रूप को दर्शाते हैं। वे न केवल एक महान योद्धा हैं, बल्कि उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि धर्म और कर्तव्य के लिए संघर्ष करना ही असली विजय है।

भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में युद्ध के देवता और भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र के रूप में पूजे जाते हैं।उनकी कहानी बहुत ही रोमांचक और प्रेरणादायक है, जो कर्तव्य, साहस, और धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देती है।

उनका जन्म और जीवन कई प्रसिद्ध कथाओं और घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जो उनके दिव्य शक्तियों और युद्ध कौशल को उजागर करती हैं।


1. कार्तिकेय का जन्म

भगवान कार्तिकेय का जन्म एक विशेष और दिव्य घटनाक्रम का परिणाम था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस तारा कत्यायन के नेतृत्व में देवताओं को संकट में डाल रहे थे और उन्होंने पृथ्वी पर अत्याचार शुरू कर दिया था, तब देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी।

देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने देवी पार्वती से संतति की इच्छा जताई और इसी कारण कार्तिकेय का जन्म हुआ।

भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ शारीरिक रूप से समागम किया, जिससे कार्तिकेय का जन्म हुआ। परंतु, भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच हुए समागम से उत्पन्न हुई वीरता और शक्ति को कई शंख, बूँद, और अन्य भागों में बाँटा गया था। इन सभी भागों को एकत्र करके छह बच्चों के रूप में प्रकट किया गया।तब इन छह बच्चों को कण्ठ में धारण करने वाली देवी पार्वती ने इन बच्चों को पालने का कार्य किया। फिर, इन छह बच्चों को कार्तिकेय के रूप में एकजुट किया गया और इन्हें "शक्ति के देवता" के रूप में सम्मानित किया गया।


2. कार्तिकेय का नाम और प्रतीक

भगवान कार्तिकेय का नाम "स्कंद" भी पड़ा, जिसका अर्थ है "शक्ति" या "युद्धवीर"। वह "कंधों पर चढ़ने" वाले देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं, और वह अपनी महानतम शक्ति के साथ राक्षसों से युद्ध करते थे। उनके वाहन के रूप में "मोर" का उल्लेख है, जो उनके साहस और शक्ति का प्रतीक है।


3. तारकासुर का वध

कार्तिकेय की कहानी का सबसे प्रसिद्ध हिस्सा तारकासुर का वध है। तारकासुर एक महान राक्षस था, जो देवताओं के लिए बड़ा खतरा बन गया था।

तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था और उसने देवताओं पर आक्रमण शुरू कर दिया था। देवताओं को हराने के बाद, भगवान शिव ने अपने पुत्र को इस राक्षस से निपटने के लिए भेजा।

कार्तिकेयने अपनी महाशक्ति,युद्ध कौशल और निर्भीकता के साथ तारकासुर का वध किया और देवताओं को 

मुक्त किया। इस युद्ध में कार्तिकेय का विजय प्राप्त करना उनकी वीरता और साहस को दर्शाता है।


4. कार्तिकेय और उनकी सेना

भगवान कार्तिकेय की एक मजबूत सेना थी, जो उनके नेतृत्व में असाधारण रूप से संगठित और शक्तिशाली थी।

उन्होंने अपने युद्ध कौशल से देवताओं की रक्षा की और राक्षसों के खिलाफ अनगिनत युद्धों में भाग लिया। कार्तिकेय का नेतृत्व उनकी युद्ध रणनीति और वीरता उन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में एक आदर्श वीर देवता के रूप में स्थापित करती है। उनके पास एक अत्यंत शक्तिशाली वहना (यान) था, जो मोर था और उनकी शस्त्र में पल्ली (धनुष) और वज्र था, जो उन्हें असाधारण युद्ध कौशल प्रदान करते थे।


5. मूर्ति रूप में कार्तिकेय का चित्रण

भगवान कार्तिकेय का चित्रण अक्सर एक युवा, सुंदर और वीर देवता के रूप में किया जाता है, जो अपने हाथ में एक धनुष और वज्र पकड़े हुए होते हैं। उनके पास एक मोर वाहन है, और उनकी उपस्थिति में हमेशा शक्ति और साहस का अहसास होता है।

उन्हें आमतौर पर छह हाथों वाले रूप में चित्रित किया जाता है, जिसमें वे विभिन्न हथियारों के साथ राक्षसों से युद्ध करते हुए दिखते हैं।

उनके चेहरे पर शांति और वीरता का संयोग होता है, जो उनके नायकत्व और ब्रह्मांड के रक्षा कार्य को प्रकट करता है।


6. कार्तिकेय का महत्व और पूजा

भगवान कार्तिकेय को प्रमुख रूप से तमिलनाडु, कर्नाटका और महाराष्ट्र में पूजा जाता है।उनकी पूजा विशेष रूप से युद्ध, वीरता, और कर्तव्य की सफलता के लिए की जाती है।

उन्हें कृतिका नक्षत्र और व्रातसप्तमी जैसे विशेष दिनों पर पूजा जाता है। उनके मंदिरों में विशेष रूप से रथ यात्रा, पूजा, और युद्ध के प्रतीक के रूप में उन्हें सम्मानित किया जाता है।


उनकी पूजा में विशेष रूप से गणेश जी के बाद कार्तिकेय को ही पूजा जाता है, क्योंकि उन्हें एक नायक के रूप में पूजा जाता है, जो बुराई के खिलाफ हमेशा खड़ा होता है।

 
 
 

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